लेखनी प्रतियोगिता -मेरी डायरी
ये फिजओ देखो आज मेरी डायरी के पन्ने भी बोल रहे
जो हमेशा से दबकर रहे वो अक्षर भी मुँह खोल रहे,
है जितने भी दर्द तेरे, तूम हर इक दर्द मुझमें ही लिख दो
फिर मेरी इन डायरी के सारे पन्नों को आसूँ से जड़ दो,
खोल दवात और पूरी स्याही को मुझ पर ही उगल दो
उमड़ रहे हैं उर से जो रंग उस हर रंग से मेरे पन्ने रंग दो,
न समझे तेरा दर्द छोड़ उनको और जी भरकर मुझे भिगो दो
कुछ कविता और कुछ शायरी से मेरे सारे पन्ने भर दो,
औरों की बातों से रूठकर यूँ खाली मत हमें छोडो दो
हमेशा की तरह आगे बढ़े फिर एक नई रचना रच दो,
रास्ता खुद बनेगा बस तू चलकर एक कदम तो रख दो
मेरी डायरी के इन कोरे पन्नों पर बस कलम को चलने दो ।
अदिति झा
12-Jan-2023 04:40 PM
Nice 👍🏼
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Punam verma
12-Jan-2023 09:02 AM
Nice
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Gunjan Kamal
11-Jan-2023 10:39 PM
बहुत खूब
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